बीबीसी के 75 वर्ष
बीबीसी के 75 वर्ष जब से होश संभाला, पापा को ट्रांज़िस्टर हाथ में लिए बीबीसी सुनते देखा। अक्सर शाम को एक घंटे का बुलेटिन वे अवश्य सुनते थे।बच्चा मन सोचता था, ये कानों के पास ट्रांज़िस्टर को चिपकाए क्या सुनते रहते हैं। हम तीन बहन दो भाई कभी शोरगुल करते तो वे डांट डपटकर चुप करा देते। कहते, बीबीसी लन्दन सुन रहा हूँ, डिस्टर्ब मत करो। हम बच्चे मन मसोसकर चुप बैठ जाते और मैं अक्सर सोचता, बीबीसी में ऐसा क्या है, जिसके लिए हम खुलकर खेलकूद भी नहीसकते। फिर पापा ने जब सुना कि तत्कालीन प्रधामन्त्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षा गार्डों ने हत्या कर दी है तो वे फौरन ट्रांज़िस्टर की तरफ भागे और बीबीसी सुनकर इसकी पुष्टि की। जनता पार्टी सरकार का पतन, 1983 क्रिकेट विश्वकप की जीत, भोपाल गैस कांड आदि सूचनाएँ उन्होंने बीबीसी सुनकर ही दीं। जब खुद आठवीं में आया तो पहली बार खुद ट्रांज़िस्टर उठाकर सुना और रीगन, गोर्बाचेव, फिदेल कास्त्रो, शीत युद्ध, वियतनाम अमेरिका संघर्ष, ईरान-इराक युद्ध आदि तत्कालीन घटनाओं को समझने और उनके विश्लेषण करने की दृष्टि विकसित करने में शनैः शनैः मुझे सफलता मिली। बीबीसी ने दुनिया...