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Showing posts from May 11, 2015

बीबीसी के 75 वर्ष

बीबीसी के 75 वर्ष जब से होश संभाला, पापा को ट्रांज़िस्टर हाथ में लिए बीबीसी सुनते देखा। अक्सर शाम को एक घंटे का बुलेटिन वे अवश्य सुनते थे।बच्चा मन सोचता था, ये कानों के पास ट्रांज़िस्टर को चिपकाए क्या सुनते रहते हैं। हम तीन बहन दो भाई कभी शोरगुल करते तो वे डांट डपटकर चुप करा देते। कहते, बीबीसी लन्दन सुन रहा हूँ, डिस्टर्ब मत करो। हम बच्चे मन मसोसकर चुप बैठ जाते और मैं अक्सर सोचता, बीबीसी में ऐसा क्या है, जिसके लिए हम खुलकर खेलकूद भी नहीसकते। फिर पापा ने जब सुना कि तत्कालीन प्रधामन्त्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षा गार्डों ने हत्या कर दी है तो वे फौरन ट्रांज़िस्टर की तरफ भागे और बीबीसी सुनकर इसकी पुष्टि की। जनता पार्टी सरकार का पतन, 1983 क्रिकेट विश्वकप की जीत, भोपाल गैस कांड आदि सूचनाएँ उन्होंने बीबीसी सुनकर ही दीं। जब खुद आठवीं  में आया तो पहली बार खुद ट्रांज़िस्टर उठाकर सुना और रीगन, गोर्बाचेव, फिदेल कास्त्रो, शीत युद्ध, वियतनाम अमेरिका संघर्ष, ईरान-इराक युद्ध आदि तत्कालीन घटनाओं को समझने और उनके विश्लेषण करने की दृष्टि विकसित करने में शनैः शनैः मुझे सफलता मिली। बीबीसी ने दुनिया...

रंगरसिया :एक शानदार फ़िल्म जिसे हमने भुला दिया

कुछ फ़िल्में ऐसी होती हैं, जिन्हें देखने के बाद उनका प्रभाव कई दिनों तक मन मस्तिष्क में बना रहता है। मेरे लिए केतन मेहता की रंगरसिया (हिंदी नामकरण) या Colors of passion (English Version) एक ऐसी ही अद्भुत फ़िल्म है। मेरे मतानुसार मराठी उपन्यासकार रणजीत देसाई के जीवनीपरक उपन्यास राजा रवि वर्मा पर आधारित यह फ़िल्म वास्तव में इक्कीसवीं शती की सर्वश्रेष्ठ हिंदी फ़िल्म है। पता नहीं क्यों तथाकथित फ़िल्म समीक्षकों को इस फ़िल्म में खूबियां क्यों नज़र नहीं आईं! केवल सुभाष के झा ने उस समय इसे साल की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म कहा। यह फ़िल्म परदे पर उतारी गई एक बेशकीमती कलाकृति है। भारत में इस फ़िल्म को नवम्बर सन 2008 में ही प्रदर्शित होना था किन्तु इस फ़िल्म के कुछ अंतरंग दृश्यों पर उठे विवादों के कारण यह फ़िल्म 7 नवम्बर सन 2014 को प्रदर्शित हो सकी। आश्चर्य की बात है कि रागिनी एमएमएस और हेट स्टोरी जैसी बकवास फिल्मों को मंज़ूरी दे देने वाला सेंसर बोर्ड एक कलात्मक पेंटिंगनुमा फ़िल्म को स्वीकृति देने में पूरे छह साल लगा देता है। सन 2008 में लन्दन फ़िल्म फेस्टिवल में इसकी काफी सराहना हुई थी। राजा रवि वर्मा ...