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Showing posts from January 21, 2023

कलात्मक फिल्म है कला

 जिस दौर की फिल्मों में रंगों को बेशर्म बताया जा रहा हो, केवल अश्लीलता सफलता की कसौटी बनाई जा रही हो, पाश्चात्य संस्कृति के प्रति अंध अनुराग प्रदर्शित किया जा रहा हो, भारतीय शास्त्रीय संगीत कोमा में जा चुका हो, ओटीटी प्लेटफार्म अश्लीलता के संवाहक बनकर सामने आ रहे हों, तब नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित अन्विता दत्त की फिल्म कला कला के प्रति आशा जगाती है और बताती है कि भारत का सिनेमा भारतीयता और सुरीलेपन को नहीं भुला सकता। कला फिल्म की कहानी आज़ादी से लगभग 10 वर्ष पूर्व की है, जिसमें स्त्री विमर्श की छौंक है, फिल्म जगत की क्रूर सच्चाइयां हैं, मां का सगी बेटी के प्रति अन्याय है, बेटी का सफलता प्राप्त करने के लिए किया गया वह कार्य है, जिसके लिए वह कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाती। फिल्म के अनेक गीत रागों पर आधारित हैं, जो गर्म तपती हवा के बीच शीतल मन्द सुगंधित बयार की भांति हैं। बलमा घोड़े पे क्यों सवार है, फेरो न नज़रिया, बिखरने का मुझको शौक है बड़ा जैसे गीत बेहद खूबसूरत हैं और कबीर का निर्गुण उड़ जाएगा हंस अकेला तो कहानी से ऐसा घुल मिल गया है कि ऐसा लगता है मानो इस फिल्म के लिए ही लिखा गया हो। ...