नॉर्मन बेट्स की माँ बनाम माँ का नार्मन बेट्स
नॉर्मन बेट्स की माँ बनाम माँ का नार्मन बेट्स डॉ. पुनीत बिसारिया* सम्पूर्ण विश्व में माँ को अत्यंत आदर दिया जाता है और जननी होने के कारण वह सम्माननीया और प्रेरणा का स्रोत मानी जाती है परन्तु यही स्नेह और वात्सल्य जब एक माँ द्वारा अपने पुत्र को अत्यधिक कठोर नियंत्रण में रखने और उसका स्वाभाविक किशोरगत एवं पुरुषोचित विकास न होने देने की हद तक पहुँच जाता है तो यह स्नेह और वात्सल्य नहीं रह जाता, वरन एक व्यक्ति को ‘बहुव्यक्तित्व असमानता’ या ‘मल्टीपर्सनालिटी डिसआर्डर’ अथवा ‘डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसआर्डर’ रोग का शिकार बना देता है और इस रोग से ग्रसित होकर वह व्यक्ति अपनी पहचान, अपनी अस्मिता, अपनी इयत्ता और अपने व्यवहार को माँ की पहचान, अस्मिता, इयत्ता और व्यवहार से इस तरह अविभाज्य ढंग से जोड़ देता है कि उसके अंतर्मन में बार-बार माँ ही दस्तक देती रहती है और माँ की मृत्यु के बाद भी वर्षों तक वह माँ की मृत देह को घर में रखकर उससे ही आदेश और प्रेरणा लेता रहता है | इतना इस हद तक होता है कि वह माँ के साथ दूसरे पुरुष की यौनिक उपस्थिति को भी बर्दाश्त नहीं कर पाता और माँ तथा उसके प्रेमी को जहर देकर ...