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Showing posts from 2020

सर्दी पर कुछ रचनाएं

 ऋतु परिवर्तन प्रकृति का नियम है। इसी क्रम में शीत ऋतु ने अब अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। ऐसे में याद आते हैं शीत ऋतु वर्णन से जुड़ी साहित्यिक कविताएं एवं फिल्मी गीत, इनके कुछ अंश प्रस्तुत हैं~ जायसी के पद्मावत के पद्मावती समय से उद्धृत बारहमासा का पौष ऋतु वर्णन~~ पूस जाड़ थर थर तन काँपा। सुरुजु जाइ लंका दिशि चाँपा।। बिरह बाढ़ दारुन भा सीऊ। कँपि कँपि मरौं ,लेइ हरि जीऊ।। कंत कहाँ लागौं ओहि हियरे। पंथ अपार , सूझ नहिं नियरे।। सौर सपेती आवै जूड़ी। जानहु सेज हिवंचल बूड़ी।। चकई निसि बिछुरै दिन मिला हौं दिन राति बिरह कोकिला।। रैनि अकेलि साथ नहिं सखी। कैसे जियै बिछोही पंखी।। बिरह सचान भएउ तन जाड़ा। जियत खाइ औ मुये न छाँड़ा।। रकत ढुरा माँसू गरा , हाड़ भएउ सब संख। धनि सारस होइ ररि मुई ,पीऊ समेटहिं पंख।। ●● राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के साकेत के नवम सर्ग से~~ यदपि काल है काल अन्त में, उष्ण रहे चाहे वह शीत, आया सखि हेमन्त दया कर देख हमें सन्तप्त-सभीत। आगत का स्वागत समुचित है, पर क्या आँसू लेकर? प्रिय होते तो लेती उसको मैं घी-गुड़ दे देकर। पाक और पकवान रहें, पर गया स्वाद का अवसर बीत, ...

प्रतिभा के ज्योतिपुंज शैलेन्द्र

 'कविराज शैलेन्द्र' की जयंती के अवसर पर प्रस्तुत है मेरा लेख 'प्रतिभा के ज्योति पुंज शैलेन्द्र ' जिसे मैंने डॉ इन्द्रजीत सिंह द्वारा सम्पादित पुस्तक 'धरती कहे पुकार के' हेतु लिखा था, किन्तु उक्त पुस्तक में पूरा लेख नहीं छप सका था| फेसबुक के मेरे मित्रों के लिए प्रस्तुत है यह अविकल लेख ~~ प्रतिभा के ज्योतिपुंज शैलेन्द्र गीतों  के  जादूगर  का   मैं  छंदों  से  तर्पण    करता    हूँ, सच    बतलाऊँ     तुम    प्रतिभा    के    ज्योतिपुंज    थे|  X      X      X      X जहाँ  कहीं  भी अंतर मन से, ऋतुओं  की सरगम बुनते थे, ताजे  कोमल  शब्दों  से, तुम  रेशम  की  जाली  बुनते थे| X      X      X      X प्रिय  भाई  शैलेन्द्र,  तुम्हारी  पंक्ति पंक्ति नभ में  लहराई, तिकड़म  अलग  रही  मुस्काती...

गुंजन सक्सेना

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  गुंजन सक्सेना नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई फ़िल्म है, जो शौर्य चक्र विजेता कारगिल गर्ल के नाम से विख्यात फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना की बायोपिक है। गुंजन सक्सेना ने लखनऊ में कर्नल अनूप सक्सेना के घर जन्म लिया और हंसराज कॉलेज, दिल्ली से बीएससी करने के बाद भारतीय वायु सेना में भर्ती होने वाली पहली भारतीय महिला पायलट थीं। उन्होंने साथी महिला पायलट श्रीविद्या राजन के साथ मिलकर सन 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों की युद्ध में तैनाती की निगरानी की थी और 40 से अधिक बार युद्धग्रस्त क्षेत्र में जाकर 900 से अधिक घायल एवं शहीद सैनिकों को भारतीय क्षेत्र में वापस लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। वह उन प्रथम 25 महिला पायलट में शामिल थीं जिन्हें भारतीय वायु सेना के इतिहास में पहली बार कमीशन किया गया था। उन्होंने सन 2004 तक सेवाएं दी थीं। गुंजन सक्सेना फ़िल्म उनके अपरिमित शौर्य पर आधारित है। गुंजन सक्सेना फ़िल्म में मुख्य पात्र की भूमिका जान्हवी कपूर ने निभाई है, उनके पिता की भूमिका पंकज त्रिपाठी ने निभाई है और इन दोनों ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया है। इनके अतिरिक्त मानव विज, अंगद...

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की हिन्दी दृष्टि

यह शत प्रतिशत सत्य है कि आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की साहित्यिक दृष्टि को समझे बगैर हिन्दी साहित्य को समझ पाना आज भी आकाश कुसुम जैसा है। उनकी स्थापनाओं से टकराए बगैर न तो समीक्षक आगे बढ़ सकते हैं और न ही उन्हें हृदयंगम किए बिना साहित्यिक पाठक हिन्दी साहित्य के विकासक्रम तथा कवि-लेखकों के विषय में अपना मन्तव्य स्थापित कर सकते हैं। एक बहुज्ञ विद्वान के रूप में उनकी स्थापनाएँ भारतीय दृष्टि तथा पाश्चात्य पथ के मध्य स्थित गलियारे पर सरपट दौड़ती हैं एवं भारतीयता के पक्ष को पुष्ट करती नज़र आती हैं। एतदर्थ, भारतीयता के आग्रही होने के परिणामस्वरूप स्वाभाविक तौर पर भाषा की दृष्टि से भी आचार्य शुक्ल हिन्दी के प्रबल पक्षधर के रूप में खड़े दिखाई देते हैं। नागरी प्रचारणी सभा ने जिस समय काशी से ‘हिन्दी’ मासिक पत्र निकालने की योजना बनायी, उस समय सम्भवतः इस पत्र के पीछे आचार्य शुक्ल की ही प्रेरणा काम कर रही थी क्योंकि उस समय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ही सभा के सभापति थे। इस पत्र को निकालने हेतु उन्होंने सभापति के रूप में ‘हिन्दी प्रेमियों से अनुरोध’ शीर्षक से एक पत्र लिखा था, जिससे उनकी हिन्दी के प्रति भावना देख...