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Showing posts from January, 2023

ते जड़जीव निजात्मक घाती, जिन्हहिं न रघुपति कथा सोहाती

 कवित विवेक एक नहिं मोरे, सत्य कहहुँ लिख कागद कोरे। उक्त पंक्तियां लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास जी को उनके नालायक परवर्ती जिस प्रकार संबोधित कर रहे हैं, उससे दुःख होता है। कवि युगदृष्टा होता है और अपने युग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सर्जना करता है। अगर उसे 500 साल बाद का समाज अपने दौर की कसौटी पर कसना चाहेगा तो तुलसी ही नहीं नाथ, सिद्ध, जगनिक, चंदबरदाई, कबीर, सूर, केशव, बिहारी, यहां तक कि भारतेंदु, निराला प्रभृति प्रायः सभी कवि काल बाह्य हो जाएंगे।  तनिक हम तुलसी युगीन परिस्थितियों को देखें कि वे कौन से हालात थे, जिनमें विपरीत सामाजिक परिस्थितियों, अपने प्रति हुए घोर अत्याचारों के बाद भी वे सामाजिक एक्य के लिए कार्य करते हैं। श्रीराम की लीलाओं के मंचन के माध्यम से समाज को जोड़ते हैं, ऐसे राम राज्य की संकल्पना करते हैं, जिसमें स्त्री, पुरुष, दलित, दमित कोई भी अबुध या लक्षणहीन न हो। वे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की पुनीत कथा भगवान शिव से पार्वती को सुनवाते हैं और इस प्रकार शैव, शाक्त और वैष्णव को एक कर देते हैं। उनकी कथा वास्तव में वह है जिसे काकभुशुण्डि जी ने गरुड़ को ...

कलात्मक फिल्म है कला

 जिस दौर की फिल्मों में रंगों को बेशर्म बताया जा रहा हो, केवल अश्लीलता सफलता की कसौटी बनाई जा रही हो, पाश्चात्य संस्कृति के प्रति अंध अनुराग प्रदर्शित किया जा रहा हो, भारतीय शास्त्रीय संगीत कोमा में जा चुका हो, ओटीटी प्लेटफार्म अश्लीलता के संवाहक बनकर सामने आ रहे हों, तब नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित अन्विता दत्त की फिल्म कला कला के प्रति आशा जगाती है और बताती है कि भारत का सिनेमा भारतीयता और सुरीलेपन को नहीं भुला सकता। कला फिल्म की कहानी आज़ादी से लगभग 10 वर्ष पूर्व की है, जिसमें स्त्री विमर्श की छौंक है, फिल्म जगत की क्रूर सच्चाइयां हैं, मां का सगी बेटी के प्रति अन्याय है, बेटी का सफलता प्राप्त करने के लिए किया गया वह कार्य है, जिसके लिए वह कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाती। फिल्म के अनेक गीत रागों पर आधारित हैं, जो गर्म तपती हवा के बीच शीतल मन्द सुगंधित बयार की भांति हैं। बलमा घोड़े पे क्यों सवार है, फेरो न नज़रिया, बिखरने का मुझको शौक है बड़ा जैसे गीत बेहद खूबसूरत हैं और कबीर का निर्गुण उड़ जाएगा हंस अकेला तो कहानी से ऐसा घुल मिल गया है कि ऐसा लगता है मानो इस फिल्म के लिए ही लिखा गया हो। ...