बकवास फिल्म है मोहेन जोदारो

र कड़ी हैं, जिनके सपाट अभिनय ने फिल्म को भारी नुकसान पहुँचाया है. ऋतिक रोशन का दमदार अभिनय इस फिल्म को उठाने का प्रयास करता है लेकिन अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता.
इस फिल्म के कुछ सकारात्मक पक्ष भी हैं, जैसे सिन्धु घाटी की सभ्यता को उसके उत्खनित स्वरुप में दिखाना और वस्त्र विन्यास तथा सामाजिक जीवन की परख करना, जिसमें आशुतोष की प्रतिभा का चरम दीखता है, लेकिन गीत-संगीत, संवाद और 'कदाचित' सांस्कृतिक पक्ष के अंकन की दुर्बलता ने एक बेहद शानदार विषय को पूरी तरह से धर्मेन्द्र की धरमवीर मार्का या फिर अमरीशपुरी की टिपिकल खलनायकत्व वाली फिल्म में बदल डाला है. अगर आशुतोष सही पात्र चयन और पटकथा एवंगीत-संगीत पर ध्यान दे देते तथा बड़े नामों का मोह छोडकर किसी अन्य गीतकार और संगीतकार को अवसर देते तो शायद बेहतर नतीजे आ सकते थे. मैं व्यक्तिगत तौर पर इस फिल्म से काफी निराश हुआ हूँ. मेरी ओर से इस फिल्म को 5 में सिर्फ दो स्टार.

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