मेरी समस्या
मेरी समस्या
मेरी समस्या यह है कि जब कांग्रेसी नीतियों की आलोचना करता हूँ तो कांग्रेसी मित्र नाराज़ हो जाते हैं, भाजपा की आलोचना पर दक्षिणपंथी मित्रों को बुरा लगता है और वामपन्थ की आलोचना करने पर तो नामवरी मित्र मेरे पीछे ही पड़ जाते है। लेकिन मैंने हमेशा यह प्रयास किया है कि मैं विचारधाराओं की बेड़ियों से मुक्त रहकर अपनी बात कहूँ। इसमें समर्थक भले ही कम मिलें लेकिन इस बात का संतोष तो रहता ही है कि मैंने निष्पक्ष होकर स्वविवेक से लिखा है और जो भी लिखा है उसके लिए मन में कोई अपराधबोध नहीं है।
मेरी समस्या यह है कि जब कांग्रेसी नीतियों की आलोचना करता हूँ तो कांग्रेसी मित्र नाराज़ हो जाते हैं, भाजपा की आलोचना पर दक्षिणपंथी मित्रों को बुरा लगता है और वामपन्थ की आलोचना करने पर तो नामवरी मित्र मेरे पीछे ही पड़ जाते है। लेकिन मैंने हमेशा यह प्रयास किया है कि मैं विचारधाराओं की बेड़ियों से मुक्त रहकर अपनी बात कहूँ। इसमें समर्थक भले ही कम मिलें लेकिन इस बात का संतोष तो रहता ही है कि मैंने निष्पक्ष होकर स्वविवेक से लिखा है और जो भी लिखा है उसके लिए मन में कोई अपराधबोध नहीं है।
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