'मलाई'

Geeta Shree हमारे समय की महत्त्वपूर्ण लेखिका हैं। उनकी नवीनतम कहानी 'मलाई' एक लड़की की मलाई खाने के प्रति आसक्ति, गोरी होने की लालसा के अन्तर्संघर्ष के बीच झूलते हुए स्त्री विमर्श के कुछ नुकीले सवालों से सामना कराती है। इस कहानी में माँ- पिता और भाई का सुरीली के प्रति अतिशय संरक्षणवादी रवैया मध्यमवर्गीय परिवारों की हक़ीक़त है। भाई और पिता को मलाईदार दूध लेते देखना और खुद को इससे वंचित पाना एक बेहद सामान्य सी दिखने वाली पारिवारिक घटना है जिसे गीताश्री उसकी पूरी बुर्जुआवादी छवि के साथ वे कहानी में पेश कर देती हैं। फेयर एण्ड लवली बनाम मलाई के द्वंद्व में फंसकर सुरिलिया मलाई को चेहरे पर गोरी होने हेतु लगाने से बेहतर अपनी चिरदमित यूटोपियाई चाह कटोरी भर मलाई खाने से पूरी करती है। यह एक लड़की का घर की चौखट पर बैठकर पेट भर मलाई खाना नहीं है अपितु इसके बहाने लेखिका पुरुष वर्चस्व के हथियारों पर अपने तरीके से चोट करती है। यहाँ तक कि नायिका की माँ और इधर की उधर लगाने वाली शीला दाई भी इस दिग्विजयी कार्य में कहीं न कहीं अपनी जीत का भी अनुभव करती है। ऐसे में मलाई सिर्फ दूध की मोटी परत भर न रहकर स्त्री मुक्ति का पुरुष मानसिकता के विरुद्ध पैना औज़ार बन जाती है।
आज के समय की एक बेहद महत्त्वपूर्ण कहानी है मलाई जिसके पाठ विखण्डन की गांठों को खोले जाने की ज़रूरत है।

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