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Showing posts from 2022

हिंदी विरोध के नाम पर देशद्रोह बर्दाश्त नहीं है

 लगता है कि जहां जहां खुराफात होगी, वहां वहां श्रीमान कपिल सिब्बल महाशय अवश्य मौजूद होंगे। कल चेन्नई की थाउसैंड लाइट्स विधानसभा के डीएमके विधायक और आरम सैय विरुंबु ट्रस्ट  के प्रतिनिधि एशिलन नागनाथन की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें शिक्षा और स्वास्थ्य को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की समवर्ती सूची से हटाकर राज्यों की सूची में शामिल करने का अनुरोध किया गया है। वादियों, जिनमें परदे के पीछे से तमिलनाडु सरकार भी शामिल है और तमिलनाडु सरकार की ओर से सिब्बल महाशय का तर्क है कि आपातकाल के दौरान सन 1976 में उनकी ही पार्टी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किए गए 42वें संविधान संशोधन से पहले ये दोनों विषय राज्य की सूची में थे। उनका कहना है कि केंद्र को सिर्फ इन विषयों पर सहयोग करना चाहिए और भाषा, सेहत गुणवत्ता आदि विषय राज्यों पर ही छोड़ देने चाहिए। तमिलनाडु की धरती से हिंदी विरोध की यह प्रच्छन्न साजिश अत्यंत गंभीर है क्योंकि हिंदी के विरुद्ध खड़े होने के साथ साथ ये लोग देश की शिक्षा व्यवस्था और स्वास्थ्य के साथ भी भयंकर खिलवाड़ करके अपनी राजनीति को चमकाना चाह...

मेरी पुस्तक प्राथमिक चिकित्सा और स्वास्थ्य का अंश

 प्राथमिक चिकित्सा का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक महत्व है किंतु प्रायः इसके लिए जागरूक करने के प्रयास नहीं किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्नातक द्वितीय सेमेस्टर के मूल्य आधारित पाठ्यक्रम में इसे रखा है। यह बेहद ज़रूरी है कि हम विभिन्न आपातकालीन स्थितियों में प्राथमिक चिकित्सा के माध्यम से रोगी की जान को बचा सकें। मैंने डॉ वीरेंद्र सिंह यादव और डॉ यतेंद्र सिंह कुशवाहा के साथ मिलकर यह पुस्तक लिखी है, जिसे प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली ने  बिल्कुल अभी अभी बेहद सुरुचिपूर्ण तथा खूबसूरती से प्रकाशित किया है। यह पाठ्यक्रम के साथ साथ आम आदमी के लिए भी आवश्यक पुस्तक है, जो ऑनलाइन तथा ऑफलाइन उपलब्ध है। लीप्रस्तुत है इस पुस्तक की अनुक्रमणिका और कुछ प्रारंभिक अंश - अनुक्रम  इकाई-1 आधारभूत प्राथमिक चिकित्सा प्राथमिक चिकित्सा का उद्देश्य प्राथमिक चिकित्सा के सिद्धांत  आपातकालीन स्थिति से निपटना, पुनर्जीवन (आधारभूत सी.पी.आर)  सी.पी.आर.देने की प्रक्रिया रिकवरी या स्वास्थ्य लाभ स्थिति में लाने के उपाय, प्रारंभिक आपादमस्तक मूल्यांकन  हाथ ...

सियाराम शरण गुप्त जी को जयंती पर पुण्य स्मरण

 जब मैं छोटा बालक हुआ करता था, उस समय मेरी बड़ी बहन हम सब के थे प्यारे बापू का सस्वर पाठ किया करती थीं। उस समय यह कविता संभवतः उत्तर प्रदेश सरकार के कक्षा 8 के हिन्दी पाठ्यक्रम में शामिल थी। तभी यह कविता मुझे भी कंठस्थ हो गई थी और तब यह नहीं पता था कि इसके सर्जक राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी के अनुज और प्रख्यात गांधीवादी कवि, कहानीकार, निबंधकार सियारामशरण गुप्त जी हैं। बाद में गुप्त जी को पढ़ने के बाद ज्ञात हुआ कि गांधीवाद ही नहीं वरन् काकी कहानी के द्वारा बाल मनोविज्ञान, जय हिन्द काव्य संग्रह द्वारा देशभक्ति का प्रयाण गीत, देश प्रेम की कविताएं, अनेक कविताओं द्वारा आत्मालाप, विनय गीत, पुत्री रमा की मृत्यु के पश्चात आर्द्रा काव्य के माध्यम से शोक गीत, विश्व शांति, गोद, अंतिम आकांक्षा और नारी उपन्यासों तथा मानुषी लघु कथा कृति के माध्यम से स्त्री मनोविज्ञान की गहरी परख की है। आज पूज्य सियाराम शरण गुप्त जी की 128वीं जयंती पर सुबह आठ बजे उनके पौत्र प्रमोद गुप्त जी, साहित्यकार निहाल चन्द्र शिवहरे, साकेत सुमन चतुर्वेदी जी तथा शहर के गणमान्य नागरिकों एवं अन्य साहित्यकारों के साथ पूज्य सिया...

द कश्मीर फाइल्स में सेल्फ डिस्ट्रक्टिव स्पिसीज भी होने चाहिए थे

 हम भारतवासी, जिनमें से निन्यानबे प्रतिशत लोग कश्मीरी भाषा का क भी नहीं समझते, वे कश्मीरी फाइल्स के कश्मीरी बोलों को देख सुनकर न सिर्फ़ उस दर्द को महसूस कर पा रहे हैं, जिसे कश्मीरी पंडितों ने झेला और अपने ही देश में शरणार्थी बनकर दर दर की ठोकरें खाने को विवश हुए, बल्कि उस नारे रलीव, जलीव, गलीव को भी समझा जो मजहबी कट्टरता का प्रतीक बनकर जन्नत जैसे कश्मीर को दोजख में झोंक देने का प्रतीक बन गया।  जिस समय यह नृशंस नरसंहार हो रहा था, उस समय मैं किशोरावस्था में ही था और कश्मीर की वास्तविक सच्चाइयों को उस समय मीडिया ने छुपाकर रखा था, फिर भी जो घटनाएं छन छन कर आती थीं, उनसे सिर्फ अंदाज़ भर लग पाता था कि कश्मीर किस तरह जल रहा है। टीकालाल टपलू, बालकृष्ण गंजू, गिरिजा टिक्कू, न्यायमूर्ति नीलकंठ गंजू और भी न जाने कितने निर्दोष उस वहशियाना मानसिकता की भेंट चढ़ा दिए गए जो मजहबी आधार को मनुष्यता से बहुत आगे रखती है। आज पुनः द कश्मीर फाइल्स देखने के बाद कुछ विचार मन में आ रहे हैं। पहला यह कि इस फिल्म के बाद तथाकथित बॉलीवुड को अब बच्चन पांडे, मैं हूं न जैसी फॉर्मूला फ़िल्मों और सलीम जावेद टाइप ...

हम सबकी आत्मसत्ता का प्रतीक है गणतंत्र दिवस

 गणतन्त्र वस्तुतः हम सबकी आत्मसत्ता का प्रतीक है। 15 अगस्त 1947 ने हमें आज़ादी तो दे दी थी, किन्तु उस समय तक न तो हमारे पास अपना कोई संविधान था, न ही हम अपने आपको इस योग्य बना सके थे कि हम खुदमुख्तार बन सकें। यही कारण था कि आजादी के बाद भी लगभग 3 साल तक हमने गवर्नर जनरल के पद को बनाए रखा औऱ  अंग्रेज़ो द्वारा नियुक्त लार्ड माउंटबैटन तथा उसके बाद चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को गवर्नर जनरल बनाया। साथ ही डॉ राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा ने भारत का संविधान बनाने का कार्य भी फौरन शुरू कर दिया, जिसकी प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉ बाबा साहब भीमराव रामजी आम्बेडकर को बनाया गया। संविधान 26 नवम्बर सन 1949 को बनकर तैयार हुआ लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 से लागू इसलिए किया गया क्योंकि आज़ादी से पहले देश 26 जनवरी को ही अपना स्वतन्त्रता दिवस मनाता था क्योंकि 26 जनवरी सन 1930 को लाहौर में रावी नदी के तट पर पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता का उद्घोष किया था। आज के दिन से हमने अंग्रेज़ों के बनाए संविधान तथा राज्य व्यवस्था को त्यागकर अपनी व्यवस्था स्थापित की लेकिन दुर्भाग्य यह कि हम अंग्रेज़ियत...

आओ मनाएं राष्ट्रीय मतदाता दिवस

 आज ग्यारहवाँ राष्ट्रीय मतदाता जागरूकता दिवस है। आज से 13 वर्ष पूर्व कैप्टन सुभाष चन्द्र नामक एक आम मतदाता ने भारत निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया था कि आयोग को मतदाता दिवस भी मनाना चाहिए। इसका संज्ञान लेते हुए आयोग ने 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता जागरूकता दिवस घोषित किया क्योंकि इसी दिन 25 जनवरी, 1950 को भारत के गणतन्त्र घोषित होने से एक दिन पहले ही भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया गया था।  अपनी स्थापना के दिवस को ही यादगार बनाते हुए आयोग ने 25 जनवरी को ही मतदाता जागरूकता अभियान के लिये चुना। 25 जनवरी 2011से प्रति वर्ष राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2022 का ध्येय वाक्य 'मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता' है। लोकतंत्र के पावन पर्व राष्ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर आइये संकल्प लें कि हम जाति, सम्प्रदाय, क्षेत्र, प्रलोभन आदि से मुक्त होकर अनिवार्य रूप से मतदान करेंगे और सर्वश्रेष्ठ प्रत्याशी को चुनकर राष्ट्रीय हित के इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में अपनी भूमिका का अवश्य निर्वाह करेंगे। आज के दिन प्रातः 11 बजे हम जो शपथ लेंगे, आशा है कि पांच प्रदेशों में होने व...

नेताजी को सच्ची श्रद्धांजलि है फिल्म समाधि

 #समाधि #NetajiSubhashChandraBose #NetajiJayanti #Netaji #NetajiBirthday #नेताजी  कल भारत माता के महान सपूत नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी की 125वीं जयन्ती सम्पूर्ण कृतज्ञ राष्ट्र ने धूमधाम से मनाई। कल रात मुझे यूट्यूब पर नेताजी के महान संग्राम पर आधारित सन 1950 की रमेश सहगल द्वारा फिल्मिस्तान स्टूडियो के लिए निर्मित फिल्म समाधि देखने का अवसर मिला। नेताजी के गुम होने के चार साल के अंदर और देश को आजाद होने के दो साल बाद ही बनी यह फिल्म दर्शाती है कि तत्कालीन भारत के लोगों में नेताजी और आज़ाद हिंद फौज के लिए कितना सम्मान था। यह फिल्म नेताजी के सिंगापुर जाने से शुरू होती है और मई 1944 में आज़ाद हिंद फौज के बहादुर सैनिकों द्वारा जापानी सेना के साथ मिलकर कोहिमा को जीत लेने की घटना पर आधारित है। यह सन 1950 की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म थी और पूरे देश में दर्शकों ने इस युद्ध आधारित फिल्म को अपना भरपूर प्यार दिया था, लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि आज के फिल्म प्रशंसक इस फिल्म के विषय में बहुत कम जानते हैं। अशोक कुमार, नलिनी जयवंत, कुलदीप कौर, श्याम, मुबारक, शशि कपूर, डेविड और कोलिन ने ...

वीरवर सरदार भगत सिंह की प्रशस्ति का अनुपमेय राग

 मित्रवर संजय मिश्र 'रजोल' जी मेरे बाल्यकाल के अग्रज और मित्र हैं। विभिन्न साहित्यिक मंचों पर मैंने बचपन से उन्हें काव्य पाठ करते हुए देखा है और उनकी कविताओं से प्रभावित रहा हूं। विगत दिनों उन्होंने अपने प्रबन्ध काव्य 'क्रांतिवीर सरदार भगत सिंह' की भूमिका लिखने का अनुरोध किया तो मुझे अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि एक श्रेष्ठ कवि के कविता कौशल का मुझे जौहरी बनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। इस अनुपमेय ग्रंथ की जो भूमिका मैंने 'वीरवर सरदार भगत सिंह की प्रशस्ति का अनुपमेय राग' शीर्षक से लिखी है, वह आप सभी पाठकों मित्रों के लिए प्रस्तुत है। आप स्वयं ऐसे काव्य श्रेष्ठि की काव्यात्मक उत्कृष्टता के कतिपय उदाहरण देख सकते हैं - वीरवर सरदार भगत सिंह की प्रशस्ति का अनुपमेय राग भारतीय काव्यशास्त्रीय आचार्यों ने काव्य के प्रयोजनों को स्पष्ट करते हुए समाज को सार्थक दिशा में अग्रसर करना काव्य का अत्यंत महत्त्वपूर्ण प्रयोजन माना है| गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में कविता के विषय में ‘कीरति भनिति भूति भलि सोई, सुरसरि सम सब कहँ हित होई’ कहकर कविता को माँ गंगा की तरह सभी के ...

चूजे जैसा दिखने वाला चीन और उसकी मक्कारियां

 विश्व में कोरोना फैलाने, भारत, ताइवान, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस आदि देशों से सीमा विवाद पैदा करने और कृत्रिम सूरज का निर्माण कर पर्यावरण को तहस नहस करने की दुरभि संधि करने के बाद दुष्ट चीन अब ह्यूमांजी अर्थात् मनुष्य और चिम्पांजी के संयोग से बना नरपशु निर्मित करने की फिराक़ में है। 60 के दशक में रूस इसका असफल प्रयास कर चुका है।पुरुष शुक्राणु को मादा चिंपांजी के शरीर में प्रविष्ट कराकर कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा वह इन्हें तैयार करना चाहता है। गलवान घाटी में भारतीय बहादुरों के शौर्य के सामने चीनी चूजों ने जिस तरह घुटने टेके, वह किसी से अब छुपा नहीं है, लेकिन ह्यूमांजी बनाकर वह इन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त कर सैनिक के रूप में भी इनका प्रयोग कर सकता है, जो वास्तव में भारत ही नहीं बल्कि समूची दुनिया के लिए चिंता की बात है। © डॉ पुनीत बिसारिया